चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में 22 जनवरी तक सभी चुनावी रैलियों और रोड शो पर पाबंदी लगाई है. बता दें कि चुनाव आयोग ने पहले 15 जनवरी तक सभी चुनावी रैलियों पर रोक लगाई थी. अब इस फैसले एक बार फिर आगे बढ़ाया. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये फैसला किया गया है.
चुनाव आयोग ने ट्वीट करते हुए कहा कि 22 जनवरी, 2022 तक सभी फिजिकल रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध बढ़ाया गया है. हालांकि इस दौरान राजनीतिक दल इनडोर हॉल में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ बैठक कर सकते हैं.
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इसके अलावा 300 लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बुलाया जा सकता है.
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों और सभी पांच राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. अधिकारियों ने देश में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति और पांचों चुनावी राज्यों में इसके ट्रेंड को देखते हुए स्थिति की समीक्षा की.
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चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के दौरान बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच राजनीतिक दलों की रैलियों और रोडशो पर प्रतिबंध लगा दिया है.
Election Commission further bans poll rallies & roadshows in poll-bound states till 22nd January pic.twitter.com/xXdqPNdKmo
— ANI (@ANI) January 15, 2022
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा, चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक मतदान वाले राज्यों में चुनावी रैलियों और रोड शो पर रोक लगा दी है. हालांकि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों या हॉल की क्षमता से 50% के साथ इनडोर बैठकें करने की अनुमति दी है.
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को आगह किया है कि वह कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करें वहीं राज्य और जिला निर्वाचन अधिकारी को यह सख्त ताकीद दी गई है कि वह राजनीतिक दलों, नेताओं और जनता पर अपनी निगाहें रखें। ऐसे में सवाल है
कि क्यों आयोग को रैली-रोड शो पर पाबंदी लगाने की मियाद फिर बढ़ानी पड़ी है? क्या राजनीतिक पार्टियां स्वयं संयम और अनुशासन का पालन करके मिसाल नहीं पेश कर सकती हैं?